Tuesday 16 November 2021

महात्मागांधी और आधुनिक संस्कृत साहित्य

महात्मागांधी और आधुनिक संस्कृत साहित्य डा. संजय कुमार सहायक आचार्य –संस्कृत विभाग डाक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय ,सागर ,म प्र .470003 मो. न. 8989713997 भारत महापुरुषों का देश है | यहाँ पर मानव क्या ईश्वर भी अवतरित हुए हैं ,राम और कृष्ण को हमारी परम्परा में ईश्वर माना जाता है |इसी तरह चाणक्य ,चन्द्रगुप्त , महाराणा प्रताप ,गुरुगोविन्द सिंह , महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस सरदार बल्लभभाई पटेल बालगंगाधर तिलक आदि लोकनायक महापुरुष भी अवतरित हुए हैं जिनके पराक्रम ,पौरुष .त्याग और समर्पण से राष्ट्र का मस्तक सदैव गौरवान्वित होता रहता है |ऐसे ही महापुरुष महात्मा गांधी भी हैं ,जिन्हें राष्ट्रीय प्रतीक पुरुष के रूप में जाना जाता है |महात्मा गांधी का मूल नाम मोहनदासकर्मचंद गांधी था | जिनका जन्म ०२ अक्तूबर १८६९ ई.में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था |महात्मा गांधी के पिता का नाम कर्मचंद गांधी तथा माता का नाम श्रीमति पुतली बाई था | गांधीजी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि सम्पन्न और अधिकार के प्रति सदा सचेत रहने वाले महामानव थे |भारतीय समाज एवं संस्कृति की गंभीर समझ उन्हें युवावस्था में प्राप्त हो गयी थी |उन्हें राष्ट्र और राष्ट्रीय समस्याओं की बहुत चिंता थी |जिसके समाधान के लिए वे सर्व प्रथम अध्ययन किये ,उनका मानना था कि अध्ययन ही सभी समस्याओं के निराकण का साधन है |इसलिए महात्मा गांधी आजीवन सबके लिए शिक्षा को अनिवार्य मानते थे | वे कहते थे कि शिक्षा सबको सर्व सुलभ होनी चाहिए | यद्यपि महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा बाई मनक से १८८३ ई.में ही हो गया था लेकिन मन में बैठे राष्ट्रीयप्रेम की भवना , स्वतंत्रता की भावना और उच्च अध्ययन की अभिलाषा की पूर्ति में कोई व्यवधान कभी नहीं आया बल्कि वे भी अहर्निश महात्मा गांधी की सहगामी होकर एक साथ कदम मिलकर चलने वाली महिला थी | महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनेता एवं सुधारवादी चिन्तक के साथ - साथ वैश्विक समस्याओं के समाधान के प्रति प्रयत्नशील रहने वाले व्यक्ति थे | दक्षिण अफ्रीका इस बात का प्रमाण है | महात्मा गांधी के मन में भारत की दुर्दशा,बेरोजगारी ,स्वास्थ्य ,पर्यावरण और संस्कृति के उन्नयन की बेजोड़ कमाना थी | उन्होंने सविनय ,सत्याग्रह ,भारत छोडो आन्दोलनों द्वारा देश में ऐसी राष्ट्रीय भावना को जागृत किया जिससे भारत को स्वतंत्रता मिली |उनका मानना था प्रत्येक व्यक्ति या राष्ट्र की स्वतंत्रता उसका अधिकार है |किसी के लिए भी दासता या परतंत्रता अभिशाप है |महात्मा गांधी के कार्य ,सहस और धैर्य के कारण उन्हें कालिदास ,महात्मा ,बापू (पिता ),राष्ट्रपिता आदि नामों से उन्हें संबोधित किया जाता है |उनके जन्म दिवस २ अक्तूबर को गांधी जयंती और अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है |महात्मा गांधी को एक राजनीतिज्ञ,अधिवक्ता ,पत्रकार ,दार्शनिक ,निबंधकार ,संस्मरण लेखक तथा क्रन्तिकारी लेखक के रूप में याद किया जाता है |उन्होंने अनेक पुस्तकों का प्रणयन भी किया है | जिनमें से कुछ प्रमुख है – सत्य के प्रयोग ,हिन्दस्वराज , दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास ,गांधी की आत्म कथा ,मेरे स्वप्नों का भारत सर्वोदय , गीता माता , ग्रामस्वराज, रामनाम ,महात्मा गांधी के विचार ,कुदरती उपचार ,आरोग्य की कुंजी ,सच्चाई भगवान है और सांप्रदायिक सद्भावना आदि |महात्मा गांधी के दो अस्त्र बहुत प्रसिद्द हैं – सत्य और अहिंसा ,इन्ही दो वैचारिक अस्त्रों से वे देश को आजादी दिलाये | ऐसे महान विचारक ,स्वतंत्रता सेनानी ,लेखक तथा समाजसुधारक की दुर्भाग्य बस ३० जनवरी १९४८ को मृत्यु हो गयी | महात्मा गांधी के मृत्योपरांत उन पर अनेक भारतीय तथा विदेशी भाषाओँ में और अधिक ग्रन्थ लिखे जाने लगे | उनके मूल्य , जीवन- दर्शन ,आदर्श ,स्वतंत्रता आन्दोलन के कार्य को ,इतिहास आदि के ग्रंथों के साथ साथ साहित्य में भी साहित्यकारों ने गढ़ना प्रारम्भ कर दिया | जिसमे संस्कृत भी बढ़- चढ़कर सहगामी बनी क्योंकि संस्कृत का इतिहास साक्षी है |उसका तो ध्येय ही आदर्श चरित निर्माण है |उसी की पूर्ति में राम , कृष्ण भीष्म ,सीता ,कुंती ,द्रोपदी चन्द्रगुप्त आदि के साथ महात्मा गांधी जैसे महनीय व्यक्तित्व से आधुनिक संस्कृत आलोकित है |आधुनिक संस्कृत कवियों के द्वारा काव्य ,महाकाव्य ,नाटक ,खंड काव्य आदि के रूप महात्मा गांधी का चरित प्रकाशित है |आधुनिक संस्कृत कवि समवाय का एक बड़ा वर्ग या तो गांधी चरित को आदि से अंत तक प्रस्तुत किया है या तो उनके सिद्धांत सत्य ,अहिंसा आदि को सामाजिक धरातल पर उकेरा गया है| संस्कृत साहित्य में चरित लेखन की परंपरा महर्षि बाल्मिकीय प्रणीत रामायण से ही हो जाती है |उन्होंने आदर्श चरित के रूप में राम चरित को समाज के समक्ष प्रस्तुत किया |इसी रूप में भारतीय समाज को उन्नतिशील बनाने और स्वतंत्रता तथा राष्ट्रीय भावना को जागृत करने के लिए आधुनिक संस्कृत साहित्य राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जीवन चरित आधारित साहित्य की सर्जना भी की गयी है | इस तरह यदि महाकाव्यों की बात की जय तो गांधीचरित नाम से अनेक महाकाव्य लिखे गए हैं, जिनमें कुछ प्रमुख हैं- स्वामी भगवदाचार्य का गांधीचरितम , इस महाकाव्य के तीन खंड – भारतपारिजात ,पारिजातापहार, तथा पारिजत्सौराभ हैं |जिनमें महात्मा गांधी के जन्म से लेकर दक्षिण अफ्रीका आदि का वर्णन करते हुए उनके स्वतंत्रता आन्दोलन के कड़े संघर्षों को दिखाया गया है |प्रभुदत्त व्रह्मचारी का गांधीनांदीश्रद्धाम्, साधुशरणमिश्र का गांधीचरितम् , विद्यानिधि का गांधीचरितम्~ (अप्रकाशित ) सुधाकरशुक्ल का गांधीसौगंधिकम् ,त्रिपुरारीशरण पाण्डेय का महत्मायन ,श्री मधुकरशास्त्री का गांधीगाथा , शिवगोविन्द त्रिपाठी का गांधीगौरवम् और प. क्षमाराव के द्वारा महात्मा गांधी जीवन चरित आधारित तीन महाकाव्य लिखे गए हैं – सत्याग्रहगीता, उत्तर सत्याग्रहगीता और स्वराजविजयम्| ये तीनों महाकाव्य महात्मा गांधी के विराट व्यक्तित्त्व को प्रकाशित करते हैं | प. क्षमाराव ने सत्याग्रहगीता महाकाव्य के एक स्थल पर महात्मा गांधी के शांति दर्शन के सार को बतलाती हुई लिखि हैं – दुर्बला ननु गण्यन्ते शांतिमार्गावालम्बिन:| परं सत्याग्रहाद् विद्धि नास्ति तीव्रतरं बलम्||१०/२५ || अर्थात् शांति के मार्ग पर चलने वालों को कमजोर समझा जाता है ,परन्तु यह जान लेना चाहिए कि सत्याग्रह से अधिक शक्तिशाली और कोई बल नहीं है |वहीँ आगे महात्मा गांधी के जीवटता , पौरुष, और भगवतस्वरूप को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा है – निक्षिप्तं विधिना तेजस्तस्मिन गंधौ महात्मनि|जन्मभूमिं तमोग्रस्तां विद्योतयितुमात्मन:|| न परं भारतं वर्ष विदुरा अपि भूमय: | भासिता:सत्यदीपेन ज्वालितेन महात्मा || तस्मादधर्मनाशाय प्रशान्ते: स्थापनाय च |गांधीरूपेण भगवानवतीर्ण: किमु स्वयम् ||१८/१५-१९ || अर्थात् महात्मा गांधी में ईश्वर ने एक तेज स्थापित कर दिया है ,जिससे अंधकार से व्याप्त पृथिवी को वे आलोक दे सके | केवल भारतवर्ष ही नहीं दूर – दूर के देश भी महात्मा के सत्यदीप के प्रकाश से आलोकित हैं |अत:ऐसा मालूम पड़ता है कि अधर्म के नाश व शांति की स्थापना के लिए स्वयं ईश्वर ही गांधी के रूप में अवतरित तो नहीं हो गये हैं?इसी तरह अनेक बातों को महात्मा गांधी के संदर्भ में यहाँ कहा गया है |गांधी सिद्धांत और व्यवहार को अन्य काव्यों में भी आधुनिक संस्कृत कवियों के द्वारा प्रस्तुत किया गया है |यथा रामजी उपाध्याय अपने द्वासुपर्णा संस्कृत उपन्यास में सुदामा और कौमुदी के माध्यम से गांधी के हिन्दस्वराज को व्याख्यायित किया है |प.प्रेमनारायण आदि ने महात्मा गांधी पर अनेक कविताओं का भी प्रणयन संस्कृत में किया है |मथुरा प्रसाद दीक्षित ने गांधीविजयम और डा.बोम्मकंठी रामलिंग शास्त्री ने सत्याग्रहोदय: नाटक लिखा है|इस तरह आधुनिक संस्कृत सहित महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को केवल साथ लेकर चलने वाला साहित्य नहीं है बल्कि उसे आत्मसात करने वाला साहित्य है | आधुनिक संस्कृत साहित्य के कवियों के द्वारा महात्मा गांधी को राष्ट्र उन्नायक ,स्वतंत्रता सेनानी ,सामाजिक चिंतक महामानव के रूप में चित्रित किया गया है जिनका आदर्श और व्यक्तित्व सभी मानव के लिय अनुकरणीय और कठिन समय में प्रेरणा प्रदान करने वाला है | ............................................................

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